खोखो विश्वविजेता टीम इंडिया

 अभिनंदन टीम इंडिया

क्रीडा विश्वातून एक मोठी आणि आनंदाची बातमी समोर आली. पहिलाच खो खो विश्वचषक  (Kho Kho World Cup 2025) भारतात खेळवला गेला आणि भारताच्या महिला-पुरूष दोन्ही संघांनी इतिहास घडवला आहे.

महिला खो खो संघानंतर पुरूष खो-खो संघानेही नेपाळवर अंतिम सामन्यात मात विश्वचषकावर नाव कोरलं. टीम इंडियाच्या महिला संघाने नेपाळला ३८ गुणांच्या फरकाने हरवले.

महिला खो-खो विश्वचषक स्पर्धेला १३ जानेवारी रोजी इंदिरा गांधी स्टेडियमवर सुरूवात झाली. स्पर्धेतील पहिल्या सामन्यात दक्षिण आफ्रिकेला १७६ धावांच्या मोठ्या फरकाने हरवून भारतीय संघाने शानदार सुरुवात केली होती. सुरुवातीच्या सामन्यापासूनच भारतीय संघाने उत्कृष्ट कामगिरी सुरू ठेवली होती. भारतीय संघाने तशीच कामगिरी अंतिम सामन्यातही केली आणि नेपाळला ७८-४० च्या फरकाने हरवून विश्वचषक ट्रॉफी जिंकली.

हेमू कालाणी


      

     

                 *हेमू कालाणी*

            (भारतीय क्रांतिकारी)


      *जन्म : 23 मार्च 1923*

   सुक्कूर, सिन्ध, ब्रिटिश भारत    

        (अभी पाकीस्तान)


    *फांसी : 21 जनवरी 1943*

              (उम्र 19)


प्रसिद्ध : क्रान्तिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, राजनैतिक कार्यकर्ता


हेमू कालाणी (२३ मार्च, १९२३) भारत के एक क्रान्तिकारी एवं स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी थे। अंग्रेजी शासन ने उन्हें फांसी पर लटका दिया था।


💁‍♂ *आरम्भिक जीवन*

                     हेमू कालाणी सिन्ध के सख्खर (Sukkur) में २३ मार्च सन् १९२३ को जन्मे थे। उनके पिताजी का नाम पेसूमल कालाणी एवं उनकी माँ का नाम जेठी बाई था।


🇮🇳 *स्वतन्त्रता संग्राम*

                जब वे किशोर वयस्‍क अवस्‍था के थे तब उन्होंने अपने साथियों के साथ विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया और लोगों से स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने का आग्रह किया। सन् १९४२ में जब महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया तो हेमू इसमें कूद पड़े। १९४२ में उन्हें यह गुप्त जानकारी मिली कि अंग्रेजी सेना हथियारों से भरी रेलगाड़ी रोहड़ी शहर से होकर गुजरेगी. हेमू कालाणी अपने साथियों के साथ रेल पटरी को अस्त व्यस्त करने की योजना बनाई। वे यह सब कार्य अत्यंत गुप्त तरीके से कर रहे थे पर फिर भी वहां पर तैनात पुलिस कर्मियों की नजर उनपर पड़ी और उन्होंने हेमू कालाणी को गिरफ्तार कर लिया और उनके बाकी साथी फरार हो गए। हेमू कालाणी को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई. उस समय के सिंध के गणमान्य लोगों ने एक पेटीशन दायर की और वायसराय से उनको फांसी की सजा ना देने की अपील की। वायसराय ने इस शर्त पर यह स्वीकार किया कि हेमू कालाणी अपने साथियों का नाम और पता बताये पर हेमू कालाणी ने यह शर्त अस्वीकार कर दी। २१ जनवरी १९४३ को उन्हें फांसी की सजा दी गई। जब फांसी से पहले उनसे आखरी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने भारतवर्ष में फिर से जन्म लेने की इच्छा जाहिर की। इन्कलाब जिंदाबाद और भारत माता की जय की घोषणा के साथ उन्होंने फांसी को स्वीकार किया


🗽 *हेमू की स्मृति में*


   इंदौर में उज्जैन मार्ग पर शहीद हेमू कालानी नगर नाम से एक कॉलोनी भी विकसित है।


इंदौर में एक चौक का नामकरण हेमू कालाणी के नाम पर करके उनकी प्रतिमा लगाई गई है।

फैजाबाद शहर में एक राजकीय पार्क है जिसका नाम हेमू कालाणी पार्क है तथा बीच मे एक 15 फुट की प्रतिमा है जो अयोध्या मार्ग पर है।

एक प्रतिमा संसद-भवन प्रांगण में डिप्टी स्पीकर के आफि़स के सामने लगाई गई है।

चेम्बूर, मुम्बई के एक उपनगर में जहां सिन्धी जनसंख्या अधिक है, में मार्ग का नाम हेमू कालाणी मार्ग रखा गया है।

उल्हासनगर जो सिन्धुनगर भी कहलाता है, में भी एक प्रतिमा चौक पर लगाई गई है।

जोधपुर (राजस्थान) शहर में एक चौक का नामकरण हेमू कालाणी के नाम पर करके उनकी प्रतिमा लगाई गई है।

अजमेर (राजस्थान) में दिग्गी बाजार चौक में शहीद हेमू कालाणी की प्रतिमा लगाई गई है।

अजमेर शहर (राजस्थान) में एक स्थान लखन कोठरी हेमू कालाणी मोहल्ला कहलाती है।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शहीद हेमू कालाणी की प्रतिमा, शहर के हृदय स्थल कचहरी चौक पर स्थापित की गयी है, उस चौक का तथा उस वार्ड का नाम शहीद हेमुकलानी वार्ड रखा गया है,

रायपुर में स्थानीय नगर निगम द्वारा, शहीद हेमू कालाणी की जयंती के अवसर पर प्रतिवर्ष कार्यक्रम आयोजित किया जाता हैं।

छत्तीसगढ़ के तिल्दा नेवरा में 'हेमू कालानी चौक' है।

छत्तीसगढ़ के राजनांदगाँव में 'हेमू कालानी मार्ग' है।

बीकानेर शहर राजस्थान के जय नारायण व्यास काॅलोनी में हेमू कालानी सर्कल व वीर सपूत समाधी स्थल है।

जयपुर के अादर्श नगर (सिन्‍धी कॉलोनी) स्थित हेमू कालानी पार्क का नामकरण हेमू कालानी के नाम से मूर्ति स्‍थापित की गई।

ग्वालियर के महाराज बाड़े पर हेमू कलानी की प्रतिमा स्थापित है।

बिलासपुर छत्तीसगढ़ के राजेन्द्र नगर चौक के पास पार्क में शहीद स्व हेमू कालानी जी की प्रतिमा स्थापित है

दिल्ली के लाजपत नगर में एक पायलट स्कूल का नाम शहीद हेमू कालानी सर्वोदय बाल विद्यालय है। और वहां पर हेमू कालानी की प्रतिमा भी लगाई गई है और साथ ही उस विद्यालय के प्रधानाचार्य के कक्ष मैं हेमू कालानी की तस्वीर भी लगी है।


         

अमेरिकेचे राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प 2025

 

अमेरिकेचे राष्ट्राध्यक्ष म्हणून डोनाल्ड ट्रम्प यांनी शपथ घेतली. भारतीय वेळेनुसार सोमवारी रात्री साडेदहा वाजता ट्रम्प हे दुसऱ्यांदा अमेरिकेचे राष्ट्राध्यक्ष झाले. अमेरिकेचे ४७ वे राष्ट्राध्यक्ष म्हणून त्यांनी पद व गोपनियतेची शपथ घेतली.

डोनाल्ड ट्रम्प् यांनी आज अमेरिकेचे ४७ वे राष्ट्राध्यक्ष म्हणून शपथ घेतली. डोनाल्ड ट्रम्प यांच्या शपथविधी सोहळ्याला ७०० पाहुणे उपस्थित होते. भारतातून उद्योगपती मुकेश अंबानी आणि नीता अंबानी आणि परराष्ट्र मंत्री एस. जयशंकर यांनी हजेरी लावली. याशिवाय इलॉन मस्क, जेफ बेझोस, मार्क झुकरबर्ग आणि टिम कुक, सॅम ऑल्टमन आणि टिकटॉकचे प्रमुख शौ जी च्यु हे देखील यावेळी सहभागी झाले होते.

रासबिहारी बोस



               *रासबिहारी बोस*

(भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं भारत के महान क्रान्तिकारी)

       *जन्म: २५ मई १८८६*                                                                  (सुबालदह ग्राम, बर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल, भारत के एक कायस्थ परिवार में हुआ था! )                                                                          *मृत्यु : २१ जनवरी १९४५*                                           ( टोक्यो, जापान)

आंदोलन : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, गदर आंदोलन, आजाद हिंद फौज                                                                 प्रमुख संगठन : जुगांतर, इंडियन इंडिपेंडेंस लीग, आजाद हिंद फौज                                                                         .रासबिहारी बोस भारत के एक क्रान्तिकारी नेता थे जिन्होने ब्रिटिश राज के विरुद्ध भारत की आज़ादी के लिए गदर षडयंत्र एवं आजाद हिन्द फौज के संगठन का कार्य किया। इन्होंने न केवल भारत में कई क्रान्तिकारी गतिविधियों का संचालन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, अपितु विदेश में रहकर भी वह भारत को स्वतन्त्रता दिलाने के प्रयास में आजीवन लगे रहे। दिल्ली में तत्कालीन वायसराय लार्ड चार्ल्स हार्डिंग पर बम फेंकने की योजना बनाने, गदर की साजिश रचने और बाद में जापान जाकर इंडियन इंडिपेंडेस लीग और आजाद हिंद फौज की स्थापना करने में रासबिहारी बोस की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यद्यपि देश को स्वतन्त्र कराने के लिये किये गये उनके ये प्रयास सफल नहीं हो पाये, तथापि स्वतन्त्रता संग्राम में उनकी भूमिका का महत्व बहुत ऊँचा है।


💁‍♂️ *जीवन*

                    रासबिहारी बोस का जन्म २५ मई १८८६ को बंगाल में बर्धमान जिले के सुबालदह गाँव में हुआ था। इनकी आरम्भिक शिक्षा चन्दननगर में हुई, जहाँ उनके पिता विनोद बिहारी बोस नियुक्त थे। रासबिहारी बोस बचपन से ही देश की स्वतन्त्रता के स्वप्न देखा करते थे और क्रान्तिकारी गतिविधियों में उनकी गहरी दिलचस्पी थी। प्रारम्भ में रासबिहारी बोस ने देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान में कुछ समय तक हेड क्लर्क के रूप में काम किया। उसी दौरान उनका क्रान्तिकारी जतिन मुखर्जी की अगुआई वाले युगान्तर नामक क्रान्तिकारी संगठन के अमरेन्द्र चटर्जी से परिचय हुआ और वह बंगाल के क्रान्तिकारियों के साथ जुड़ गये। बाद में वह अरबिंदो घोष के राजनीतिक शिष्य रहे यतीन्द्रनाथ बनर्जी उर्फ निरालम्ब स्वामी के सम्पर्क में आने पर संयुक्त प्रान्त, (वर्तमान उत्तर प्रदेश) और पंजाब के प्रमुख आर्य समाजी क्रान्तिकारियों के निकट आये।

                   दिल्ली में जार्ज पंचम के १२ दिसंबर १९११ को होने वाले दिल्ली दरबार के बाद जब वायसराय लॉर्ड हार्डिंग की दिल्ली में सवारी निकाली जा रही थी तो उसकी शोभायात्रा पर वायसराय लार्ड हार्डिंग पर बम फेंकने की योजना बनाने में रासबिहारी की प्रमुख भूमिका रही थी। अमरेन्द्र चटर्जी के एक शिष्य बसन्त कुमार विश्वास ने उन पर बम फेंका लेकिन निशाना चूक गया। इसके बाद ब्रिटिश पुलिस रासबिहारी बोस के पीछे लग गयी और वह बचने के लिये रातों-रात रेलगाडी से देहरादून खिसक लिये और आफिस में इस तरह काम करने लगे मानो कुछ हुआ ही नहीं हो। अगले दिन उन्होंने देहरादून के नागरिकों की एक सभा बुलायी, जिसमें उन्होंने वायसराय पर हुए हमले की निन्दा भी की। इस प्रकार उन पर इस षडयन्त्र और काण्ड का प्रमुख सरगना होने का किंचितमात्र भी सन्देह किसी को न हुआ। १९१३ में बंगाल में बाढ़ राहत कार्य के दौरान रासबिहारी बोस जतिन मुखर्जी के सम्पर्क में आये, जिन्होंने उनमें नया जोश भरने का काम किया। रासबिहारी बोस इसके बाद दोगुने उत्साह के साथ फिर से क्रान्तिकारी गतिविधियों के संचालन में जुट गये। भारत को स्वतन्त्र कराने के लिये उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान गदर की योजना बनायी। फरवरी १९१५ में अनेक भरोसेमंद क्रान्तिकारियों की सेना में घुसपैठ कराने की कोशिश की गयी।


🕎 *जापान में*

                युगान्तर के कई नेताओं ने सोचा कि यूरोप में युद्ध होने के कारण चूँकि अभी अधिकतर सैनिक देश से बाहर गये हुये हैं, अत: शेष बचे सैनिकों को आसानी से हराया जा सकता है लेकिन दुर्भाग्य से उनका यह प्रयास भी असफल रहा और कई क्रान्तिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। ब्रिटिश खुफिया पुलिस ने रासबिहारी बोस को भी पकड़ने की कोशिश की लेकिन वह उनके हत्थे नहीं चढ़े और भागकर विदेश से हथियारों की आपूर्ति के लिये जून १९१५ में राजा पी. एन. टैगोर के छद्म नाम से जापान के शहर कोबेमें पहुँचे और वहाँ रहकर भारत देश की आजादी के लिये काम करने लगे! इस प्रकार उन्होंने कई वर्ष निर्वासन में बिताये। जापान में भी रासबिहारी बोस चुप नहीं बैठे और वहाँ के अपने जापानी क्रान्तिकारी मित्रों के साथ मिलकर देश की स्वतन्त्रता के लिये निरन्तर प्रयास करते रहे। उन्होंने जापान में अंग्रेजी अध्यापन के साथ लेखक व पत्रकार के रूप में भी काम प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने वहाँ न्यू एशिया नाम से एक समाचार-पत्र भी निकाला। केवल इतना ही नहीं, उन्होंने जापानी भाषा भी सीखी और १६ पुस्तकें लिखीं। उन्होंने टोकियो में होटल खोलकर भारतीयों को संगठित किया तथा 'रामायण' का जापानी भाषा में अनुवाद किया।

               ब्रिटिश सरकार अब भी उनके पीछे लगी हुई थी और वह जापान सरकार से उनके प्रत्यर्पण की माँग कर रही थी, इसलिए वह लगभग एक साल तक अपनी पहचान और आवास बदलते रहे। १९१६ में जापान में ही रासबिहारी बोस ने प्रसिद्ध पैन एशियाई समर्थक सोमा आइजो और सोमा कोत्सुको की पुत्री से विवाह कर लिया और १९२३ में वहाँ की नागरिकता ले ली। जापान में वह पत्रकार और लेखक के रूप में रहने लगे। जापानी अधिकारियों को भारतीय राष्ट्रवादियों के पक्ष में खड़ा करने और देश की आजादी के आन्दोलन को उनका सक्रिय समर्थन दिलाने में भी रासबिहारी बोस की अहम भूमिका रही। उन्होंने २८ मार्च १९४२ को टोक्यो में एक सम्मेलन बुलाया जिसमें 'इंडियन इंडीपेंडेंस लीग' की स्थापना का निर्णय किया गया। इस सम्मेलन में उन्होंने भारत की आजादी के लिए एक सेना बनाने का प्रस्ताव भी पेश किया।


🤝 *आई.एन.ए. का गठन*

                    २२ जून १९४२ को रासबिहारी बोस ने बैंकाक में लीग का दूसरा सम्मेलन बुलाया, जिसमें सुभाष चंद्र बोस को लीग में शामिल होने और उसका अध्यक्ष बनने के लिए आमन्त्रित करने का प्रस्ताव पारित किया गया। जापान ने मलय और बर्मा के मोर्चे पर कई भारतीय युद्धबन्दियों को पकड़ा था। इन युद्धबन्दियों को इण्डियन इण्डिपेण्डेंस लीग में शामिल होने और इंडियन नेशनल आर्मी (आई.एन.ए.) का सैनिक बनने के लिये प्रोत्साहित किया गया। आई.एन.ए. का गठन रासबिहारी बोस की इण्डियन नेशनल लीग की सैन्य शाखा के रूप में सितम्बर १९४२ को किया गया। बोस ने एक झण्डे का भी चयन किया जिसे आजाद नाम दिया गया। इस झण्डे को उन्होंने सुभाष चंद्र बोस के हवाले किया। रासबिहारी बोस शक्ति और यश के शिखर को छूने ही वाले थे कि जापानी सैन्य कमान ने उन्हें और जनरल मोहन सिंह को आई.एन.ए. के नेतृत्व से हटा दिया लेकिन आई.एन.ए. का संगठनात्मक ढाँचा बना रहा। बाद में इसी ढाँचे पर सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिन्द फौज के नाम से आई.एन.एस. का पुनर्गठन किया।


भारत को ब्रिटिश शासन की गुलामी से मुक्ति दिलाने की जी-तोड़ मेहनत करते हुए किन्तु इसकी आस लिये हुए २१ जनवरी १९४५ को इनका निधन हो गया। उनके निधन से कुछ समय पहले जापानी सरकार ने उन्हें आर्डर ऑफ द राइजिंग सन के सम्मान से अलंकृत भी किया था।

      

         

स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 51-60

 स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 51-60

 स्कॉलरशिप परीक्षा टेस्ट 51 इयत्ता 5 वी


https://www.vkbeducation.com/p/51-5.html


स्कॉलरशिप परीक्षा टेस्ट 52

https://www.vkbeducation.com/p/52_4.html


स्कॉलरशिप परीक्षा टेस्ट 053

https://www.vkbeducation.com/p/053.html


स्कॉलरशिप परीक्षा टेस्ट 54

https://www.vkbeducation.com/p/54_6.html


स्कॉलरशिप परीक्षा टेस्ट 55

https://www.vkbeducation.com/p/55_7.html


स्कॉलरशिप परीक्षा टेस्ट 56

https://www.vkbeducation.com/p/56_10.html


स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा 57

https://www.vkbeducation.com/p/57_11.html


Scolarship exam test 58

https://www.vkbeducation.com/p/scolarship-exam-test-58.html


स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 59

https://www.vkbeducation.com/p/59_16.html


स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 60

https://www.vkbeducation.com/p/60_16.html

अमृतलाल विठ्ठलदास ठक्कर

                               


         *अमृतलाल विठ्ठलदास ठक्कर* 

                ( ठक्कर बाप्पा )


           *जन्म : 29 नवंबर 1869*

                  (भावनगर, गुजरात)


             *मृत्यु : 20 जनवरी 1951*


उपाधी : ठक्कर बाप्पा

पिता- विट्ठलदास लालजी ठक्कर

माता : मुलीबाई

कर्म भूमि : भारत

कर्म-क्षेत्र : समाज सेवक

नागरिकता : भारतीय

संबंधित लेख : महात्मा गाँधी, गोपाल कृष्ण गोखले

विशेष : ठक्कर बाप्पा ने 1914 में ‘भारत सेवक समाज’ के संस्थापक गोपालकृष्ण गोखले से समाज सेवा की दीक्षा ली और जीवनपर्यंत लोक-सेवा में ही लगे रहे। इसी कारण वे ठक्कर बाप्पा के नाम से प्रसिद्ध हुए।

अन्य जानकारी : गाँधी जी की प्रेरणा से ‘अस्पृश्यता निवारण संघ’, जो बाद में ‘हरिजन सेवक संघ’ कहलाया, बना तो ठक्कर बाप्पा उसके मंत्री बनाए गए। 1933 में जब हरिजन कार्य के लिए गाँधी जी ने पूरे देश का भ्रमण किया तो ठक्कर बाप्पा उनके साथ थे।

                  ठक्कर बापा, गांधी जी के बहुत करीब रहे थे। वे सन 1914-15 से गांधीजी के सम्पर्क में आए थे। मगर, तब भी वे अपने लोगों के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर पाए। तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद, आदिवासियों की अधिसंख्य आबादी आज भी बीहड़ जंगलों में रहने अभिशप्त है। अपने देश और समाज के प्रति ठक्कर बापा की नीयत साफ झलकती है। मगर, आदिवासियों के प्रति कांग्रेस की नीतियां में जरुर संदेह नजर आता हैं।


ठक्कर बापा का नाम लेते ही ऐसे ईमानदार शख्स की तस्वीर जेहन में उभरती है, जो बड़ा ईमानदार है। जिसने एक बड़े सरकारी ओहदे से इस्तीफा देकर दिन-हीन और लाचार लोगों के लिए अपनी तमाम जिंदगी न्योछावर कर दी हो। शायद, इसी को लक्ष्य कर गांधी जी ने एक उन्हें 'बापा ' कहा था। 'बापा ' अर्थात लाचार और असहायों का बाप। चाहे गुजरात का भीषण दुर्भिक्ष हो या नोआखाली के दंगे, ठक्कर बापा ने लोगोंकी जो सेवा की , नि:संदेह वह स्तुतिय है।

                       ठक्कर बापा एक खाते-पीते परिवार से संबंध रखते थे। ठक्कर बापा का नाम अमृतलाल ठक्कर था। आपका जन्म 29 नवम्बर 1869 भावनगर (सौराष्ट्र ) में हुआ था। आप की माता का नाम मुलीबाई और पिता का नाम विठलदास ठक्कर था। अमृतलाल ठक्कर के पिताजी एक व्यवसायी थे। विट्ठलदास समाज के हितेषी और स्वभाव से दयालु थे।उन्होंने अपने गरीब समाज के बच्चों के लिए भावनगर में एक छात्रावास खोला था। भावनगर में ही सन 1900 के भीषण अकाल में उन्होंने केम्प लगवा कर कई राहत कार्य चलवाए थे।


पढने-लिखने में अमृतलाल बचपन से ही होशियार थे। सन 1886 में आपने मेट्रिक में टॉप किया था। सन 1890 में आपने पूना से सिविल इंजीनियरिंग पास किया था। सन 1890 -1900 की अवधि में अमृतलाल ठक्कर ने काठियावाड़ स्टेट में कई जगह नौकरी की थी। सन 1900-1903 के दौरान पूर्वी अफ्रीका के युगांडा रेलवे में बतौर इंजिनीयर उन्होंने अपनी सेवा दी। वे सांगली स्टेट के चीफ इंजिनियर नियुक्त हुए। इसी समय आप गोपाल कृष्ण गोखले और धोंडो केशव कर्वे के सम्पर्क में आए।


सांगली में एकाध साल नौकरी करने के बाद अमृतलाल ठक्कर बाम्बे म्युनिसिपल्टी में आ गए। यहाँ कुर्ला में नौकरी के दौरान वे वहाँ की दलित बस्तियों में गए। डिप्रेस्ड कास्ट मिशन के रामजी शिंदे के सहयोग से उन बस्तियों में आपने स्वीपर बच्चों के लिए स्कूल खोला ।


सन 1914 में अमृतलाल ठक्कर ने अपने नौकरी से त्याग दे दिया। अब वे 'सर्वेंट ऑफ़ इंडिया सोसायटी' से जुड़ कर पूरी तरह जन-सेवा में जुट गए। यही वह समय था जब गोपाल कृष्ण गोखले ने उनकी मुलाकात गांधी जी से करवाई। सन 1915 -16 में ठक्कर बापा ने बाम्बे के स्वीपरों के लिए को-ऑपरेटिव सोसायटी स्थापित की। इसी तरह अहमदाबाद में आपने मजदूर बच्चों के लिए स्कूल खोला।


सन 1918-19 की अवधि में टाटा आयरन एंड स्टील जमशेदपुर ने अपने कामगारों की परिस्थितियों के आंकलन के लिए ठक्कर बापा की सेवाएं ली थी। गुजरात और उड़ीसा में पड़े भीषण अकाल के समय ठक्कर बाबा ने वहाँ रिलीफ केम्प लगा कर काफी काम किया। सन 1922 -23 के अकाल में गुजरात में भीलों के बीच रिलीफ का कार्य करते हुए आपने 'भील सेवा मंडल' स्थापित किया था।


सन 1930 में सिविल अवज्ञा आंदोलन दौरान वे गिरफ्तार हुए थे। उन्हें 40 दिन जेल में रहना पड़ा था। पूना पेक्ट (सन 1932 )में गांधी जी के आमरण अनशन के दौरान ठक्कर बापा ने समझौए के लिए महती भूमिका निभाई थी।


ठक्कर बापा ने बतौर 'हरिजन सेवक संघ' के महासचिव सन 1934 -1937 की अवधि में ' हरिजनों ' की समस्याओं से रुबरूं होने के लिए सारे देश का भमण किया था। सन 1938-42 की अवधि में वे सी पी एंड बरार, उड़ीसा, बिहार, बाम्बे राज्यों में आदिवासी और पिछड़े वर्गों के कल्याण से संबंधित विभिन्न सरकारी समितियों में रहे थे ।


सन 1944 में ठक्कर बापा ने 'कस्तूरबा गांधी नॅशनल मेमोरियल फण्ड' की स्थापना की। इसी वर्ष ' गोंड सेवक संघ' जो अब 'वनवासी सेवा मंडल' के नाम से जाना जाता है; की स्थापना की थी। ठक्कर बापा सन 1945 में 'महादेव देसाई मेमोरियल फण्ड' के महासचिव बने थे। 'आदिमजाति मंडल' रांची जिसके अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे, के उपाध्यक्ष रहे। सन 1946 -47 में नोआखली जहाँ जबरदस्त दंगे भड़के थे, ठक्कर बापा वहाँ गांधी जी के साथ थे।


स्वतंत्रता के बाद ठक्कर बापा संविधान सभा के लिए चुने गए थे। वे संविधान सभा के और कुछ उप-समितियों में थे। आप गांधी नॅशनल मेमोरियल फण्ड के ट्रस्टी और एक्जुटिव बॉडी के मेंबर थे। ऐसी निर्लिप्त भाव से सेवा करने वाली शख्सियत 20 जनवरी 1951 हम और आप से विदा लेती है।

      

       

सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 11-20

 सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 11-20

 सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 11


https://www.vkbeducation.com/2024/08/11.html




सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 12

https://www.vkbeducation.com/2024/08/12.html



सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 13

https://www.vkbeducation.com/2024/08/13.html


सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 14

https://www.vkbeducation.com/2024/08/14.html


सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 15

https://www.vkbeducation.com/2024/08/15.html


सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 16

https://www.vkbeducation.com/2024/08/16.html


सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 17

https://www.vkbeducation.com/2024/08/17.html


सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 18

https://www.vkbeducation.com/2024/08/18.html


सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 19

https://www.vkbeducation.com/2024/08/19.html


सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 20

https://www.vkbeducation.com/2024/08/20.html

सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 21-30

 सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 21-30

 सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 21


https://www.vkbeducation.com/2024/08/21.html


सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 24

https://www.vkbeducation.com/2024/08/24.html


सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 25

https://www.vkbeducation.com/2024/08/25.html


सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 23

https://www.vkbeducation.com/2024/08/23.html


सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 22

https://www.vkbeducation.com/2024/08/22.html


सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 30

https://www.vkbeducation.com/2024/08/30.html


सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 29

https://www.vkbeducation.com/2024/08/29.html


सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 27

https://www.vkbeducation.com/2024/08/27.html


सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 26

https://www.vkbeducation.com/2024/08/26.html


सातारा प्रज्ञाशोध परीक्षा टेस्ट 28

https://www.vkbeducation.com/2024/08/28.html

स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 101-110

 स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 101-110

 स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 110


https://www.vkbeducation.com/p/110_19.html


स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 109

https://www.vkbeducation.com/p/109_19.html


स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 108

https://www.vkbeducation.com/p/108_17.html


स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 107

https://www.vkbeducation.com/p/107_16.html


स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 106

https://www.vkbeducation.com/p/106_15.html


Scholarship exam test 105

https://www.vkbeducation.com/p/scholarship-exam-test-105.html


Scholarship navoday exam test 104

https://www.vkbeducation.com/p/scholarship-navoday-exam-test-104.html


Scholarship exam test 103

https://www.vkbeducation.com/p/scholarship-exam-test-103.html


स्कॉलरशिप परीक्षा टेस्ट 102

https://www.vkbeducation.com/p/102_5.html


Scholarship navoday pariksha test 101

https://www.vkbeducation.com/p/scholarship-navoday-pariksha-test-101.html

स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 171-180

 स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 171-180

 Scolarship pariksha test 171


https://www.vkbeducation.com/2024/08/scolarship-pariksha-test-171.html





Scolarship pariksha test 172 iayata athavai

https://www.vkbeducation.com/2024/08/scolarship-pariksha-test-172-iayata.html





स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 173

https://www.vkbeducation.com/2024/08/173.html





स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 174

https://www.vkbeducation.com/2024/08/174.html





स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 175

https://www.vkbeducation.com/2024/08/175.html





स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 180

https://www.vkbeducation.com/2024/08/180.html






स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 179

https://www.vkbeducation.com/2024/08/179.html






स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 178

https://www.vkbeducation.com/2024/08/178.html






स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 177

https://www.vkbeducation.com/2024/08/177.html






स्कॉलरशिप नवोदय परीक्षा टेस्ट 176

https://www.vkbeducation.com/2024/08/176.html

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनायझेशन (ISRO) ने विविध पदांसाठी भरती जाहीर..

  इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनायझेशन (ISRO) ने विविध पदांसाठी भरती जाहीर केली आहे. भारतीय अंतराळ संशोधन संघटनेने (इस्रो) इलेक्ट्रॉनिक्स, मेकॅनि...